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सोमवार, 21 अप्रैल 2008

उपहार

मेरे प्रियतम मुझे उपहार चाहिए
तुम्हारी साँसों से गुंथा जीवन का एक हार चाहिए

प्रेम भरे ये नयन तुम्हारे
इन नयनो का रस-बहार चाहिए

रंगो से भरी मेरी स्वप्न-शाला
मेरे इन सपनों को जीवन का आकार चाहिए

मेरे प्रियतम मुझे उपहार चाहिए

प्रवाह

ओ नदी तुम बहा करो

ओ नदी तुम बहा करो

कुछ बूंदों के सृजन से मिला है जीवन

तुम बूंदों के संग रहा करो , ओ नदी तुम.....

प्रवाह नियम है जीवन का

पथरीले रस्तों से ये कहा करो , ओ नदी तुम बहा करो

मेरा जीवन जड़ पेड़ की तरह

तुम मुझ से मिलती रहा करो , ओ नदी तुम

सोते जागते बहते रहना

जीवन का उद्देश्य तुम्हारा

जीवन की इस दौड़ में

तुम सबसे आगे रहा करो

ओ नदी तुम बहा करो.....

शनिवार, 12 अप्रैल 2008

जीवन की उष्णता


मेरे ख्यालों से होकर गुजर रहा है कोई

आजकल दिल में उतर रहा है कोई

कुछ जस्बातों को पंख मिल रहे हैं

जमीन पे पाँव हैं लेकिन बादलों के पार उड़ रहा है कोई

प्रेम की कल्पना अब रूप ले रही है

ठंडी सुर्ख हवाओं पे कविता कह रहा है कोई

नानी माँ की कहानी से उतर कर एक परी

दिन के उजाले में साफ दिखाई दे रही है

अकेले से इस कमरे में मेरे साथ रह रहा है कोई

जीवन की उष्णता के दिन शायद अब आ चुके हैं

अब रात भर मेरे गिलाफों पे चुम्बन रख रहा है कोई

शुक्रवार, 4 अप्रैल 2008

स्वार्थी प्रेम


बहती हवाओं से सीखा है

उड़ती घटाओं से सीखा है

बरसते पानी से जाना है

झूमती बहारों ने माना है

की प्रेम सिर्फ़ कल्पना है

ये सच्चाई से परे है

अन्धकार है, धोखा है

ये असहज है,अनैतिक है

ये सिर्फ़ जोश है, जीवन का एक दोष है

शायद किसी की कल्पना है

जीवन के मूल्यों से जाना है

की इस जीवन का कोई मूल्य नही

सब रिश्ते नाते झूठे हैं

सब निरार्थ है, सब स्वार्थ है।