तुम्हारी यादों सा आधा चाँद आज फिर आया है
लाया है साथ में कुछ बासी रातों के टूटे तारे और
कुछ रात-रानी के अध् खिले फूलों की जानी पहचानी खुशबू लाया है
सब कुछ वैसा ही है जैसा तुम छोड़ गए थे
छत की मुंडेर पे पड़े मेरे एहसास वैसी ही हैं
जैसा इन्हे तुम तोड़ गए थे
रुदाली सी सुर्ख हवा का रुदन
वैसा ही है पहर दर पहर
बीतें सालों में यहाँ कुछ भी नही बदला
तुम्हारी यादों को मैंने कुछ टूटी चूडियों के टुकडों में सहेजकर रख दिया है।
अब बस आधा एक चाँद है और टूटी कुछ चूडियां !!!