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शुक्रवार, 4 अप्रैल 2008

स्वार्थी प्रेम


बहती हवाओं से सीखा है

उड़ती घटाओं से सीखा है

बरसते पानी से जाना है

झूमती बहारों ने माना है

की प्रेम सिर्फ़ कल्पना है

ये सच्चाई से परे है

अन्धकार है, धोखा है

ये असहज है,अनैतिक है

ये सिर्फ़ जोश है, जीवन का एक दोष है

शायद किसी की कल्पना है

जीवन के मूल्यों से जाना है

की इस जीवन का कोई मूल्य नही

सब रिश्ते नाते झूठे हैं

सब निरार्थ है, सब स्वार्थ है।

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