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शनिवार, 12 अप्रैल 2008

जीवन की उष्णता


मेरे ख्यालों से होकर गुजर रहा है कोई

आजकल दिल में उतर रहा है कोई

कुछ जस्बातों को पंख मिल रहे हैं

जमीन पे पाँव हैं लेकिन बादलों के पार उड़ रहा है कोई

प्रेम की कल्पना अब रूप ले रही है

ठंडी सुर्ख हवाओं पे कविता कह रहा है कोई

नानी माँ की कहानी से उतर कर एक परी

दिन के उजाले में साफ दिखाई दे रही है

अकेले से इस कमरे में मेरे साथ रह रहा है कोई

जीवन की उष्णता के दिन शायद अब आ चुके हैं

अब रात भर मेरे गिलाफों पे चुम्बन रख रहा है कोई

2 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

wah wah wah wah wah.
sahi ja rahe ho........


Leena A.

Unknown ने कहा…

hey, ab lagta hai ki tumhara mijaaz badal gaya hai.


Amod.