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सोमवार, 21 अप्रैल 2008

प्रवाह

ओ नदी तुम बहा करो

ओ नदी तुम बहा करो

कुछ बूंदों के सृजन से मिला है जीवन

तुम बूंदों के संग रहा करो , ओ नदी तुम.....

प्रवाह नियम है जीवन का

पथरीले रस्तों से ये कहा करो , ओ नदी तुम बहा करो

मेरा जीवन जड़ पेड़ की तरह

तुम मुझ से मिलती रहा करो , ओ नदी तुम

सोते जागते बहते रहना

जीवन का उद्देश्य तुम्हारा

जीवन की इस दौड़ में

तुम सबसे आगे रहा करो

ओ नदी तुम बहा करो.....

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