Popular Posts

गुरुवार, 22 दिसंबर 2011

अन्ना की गुंडागर्दी गांधीगिरी के बहाने

सरकार को जंग लग गया है! जी हाँ सरकार को जंग लग गया है ! लोकपाल को लाने के लिए वचनबद्ध सरकार लोकसभा की मर्यादा को भी भूल गयी है! जिसकी जी में जो आ रहा है वो सरकार को कह रहा है। अभी आज ही अरविन्द केजरीवाल ने दावा किया है की सरकार के आधा से ज्यादा मंत्री तो रिश्वत लेते हैं। लेकिन सरकार भी चुप है और संसद भी। आलम ये है की अन्ना हजारे कभी प्रधानमंत्री को लताड़ राहे हैं कभी चिदंबरम को। अपने नंबर बनाने के चक्कर में विपक्ष भी अन्ना के सुर में सुर मिला रहा है। सरकार ऐसे उल्हाने सुनकर भी चुप है।
कभी कभी तो मुझे सरकार के अन्ना और अन्ना के सरकार होने का भी शक होता है। आखिर ऐसा क्या है जो सरकार इन पर चुप है। क्यूँ सरकार को और बाकि लोगो को अन्ना की सफ़ेद टोपी के पीछे छुपी काली टोपी और धोतर के पीछे छुपी खाकी नेकर नज़र नहीं आ रही है। क्या सरकार का पी आर सिस्टम खराब हो गया है? क्या जनता का भरोसा जीतने वाली सरकार जनता को मानाने में नाकाम हो गयी है?

कांग्रेस चतुर रही है लेकिन इतने सालों में कांग्रेस की चतुरता से और भी बड़ी पार्टियों ने सबक सीखा है। दरअसल कांग्रेस ६० सालों में एक पोलिटिकल institute ban ke बन के उभरी है और इस पार्टी से कई सबक सीखें
gaye है जो अब कांग्रेस के खिलाफ इस्तेमाल हो रहे हैं। ये पैंतरा आर एस एस का कांग्रेस के गले पड़ गया है। लोगो को ये समझाना चाहिए की अन्ना हजारे कोई समाज सुधारक नहीं है बल्कि एक मोहरा है जो देश के राजनैतिक पटल पर कांग्रेस को मात देने के लिए चला गया है और जिस तरह बड़े पेड़ के निचे कुकुरमुत्ते आ ही जाते हैं उसी तरह एक टीम अन्ना भी उभर के आगई है। अन्ना हजारे एक संकुचित विचारधारा के व्यक्ति है वे समाज को उन्नति के नहीं बल्कि अवनति के रस्ते पर ले जाना चाहते हैं। उन्होंने जेल भरो आन्दोलन की हुंकार भरी है। क्या वो नहीं जानते एक दिन देश बंद होने से कितना नुक्सान होता है और यदि सारी कानून व्यवस्था इनके आन्दोलन में लग जाएगी तो फिर laa एंड आर्डर का क्या होगा। ये अन्ना गाँधीवादी तो कदापि नहीं हो सकते। अपने आप को गाँधी से तुलना करने से पहले कम से कम ये तो सोच ले की गाँधी की लड़ाई क्या थी ।

बात को सभी बुद्धिजीवी जान रहे हैं की अन्ना हजारे का लोकपाल एक ऐसा लोकपाल है जो आगे चलकर पाकिस्तान के आई एस आई की तरह हो जायेगा जिस पर किसी का नियंत्रण नहीं रहेगा। लेकिन विपक्ष भी अन्ना के सहारे जनता की बुक्स में अपने नंबर बनाने के लिए चुप है और सुर मिलाये जा रही है। और क्यूँ न हो? विपक्ष को पहली बार सरकार को घेरने का मौका मिला है । इससे पहले नुक्लेअर मुद्दे पे भी विपक्ष ने मुह की खायी थी। इस बार गडकरी को दरकिनार कर के सुषमा स्वराज ने बीड़ा उठाया है। गडकरी तो बेचारे अभी किसी कोर्ट के चक्कर लगा रहे हैं शायद।

और सबसे ज्यादा समझाने की बात ये है की भ्रष्टाचार देश की जनता से फैलता है न की नेताओं से । हम खिलाते हैं इसलिए वो खाते हैं। जनता नादान है कभी लालू फुसला लेते हैं कभी अन्ना।

पता नहीं सरकार का और सदन का स्वाभिमान कब जागेगा और कब अरविन्द केजरीवाल जैसे लोगो पे नकेल कसी जाएगी। दिग्विजय सिंह शायद ये सुन ले तो कुछ हो भी वर्ना तो अब कांग्रेस से कोई उम्मीद बाकि नहीं है.....

बुधवार, 30 नवंबर 2011

Mahamari

सुनो, सुनो सुनो! देशवासियों गौर से सुनो हमारे देश मैं एक बीमारी फ़ैल रही है! ये एक बहुत ही खतरनाक बीमारी है! जनता इसके संक्रमण से बच नहीं पा रही है। कई राज्य तो इसके चपेट में पूरी तरह से आ चुके हैं।
मैं बात कर रहा हूँ हजारिया नाम की बीमारी की। ये एक अन्ना नाम के विषाणु के संक्रमण से फ़ैल रही है। इस बीमारी का पता तभी चलता है जब व्यक्ति पूरी तरह से संक्रमित हो जाता है। संक्रमण की स्थिति में व्यक्ति सफ़ेद रंग की गाँधी टोपी पहन लेता है जिस पर अन्ना लिखा होता है। अतिसंक्रमण की स्थिति में वह जुलुस निकलता है, रैलियों में शामिल होता है और अन्ना के सुप्पोर्ट में फसबूक पर लोगो को वर्गालाता है। अपनी डिस्प्ले पिक में हर जगह अन्ना की पिक लगता है और नारे लिखता है।
धीरे धीरे संक्रमण पूरी तरह से व्यक्ति को जकड लेता है और वह इस बीमारी का मजा लेने लगता है सफ़ेद कुरता पायजामा पहनता है और इनकी सभी सभाओं में जाता है। ऐसी अवस्था में वह सरकार की नीतियों का विरोध करता है और अधिकांशतः कांग्रेस के खिलाफ बोलने लगता है । इस बीमारी के चलते व्यक्ति का दिमाग धीरे धीरे भ्रमित होने लगता है और वह प्रत्येक नेता को चोर तथा स्वयं को गाँधी समझने लगता है। इस बीमारी की एक और भी अवस्था है जिसमे व्यक्ति स्वयं को कभी कभी भगत सिंह भी समझ लेता है।
अभी तक इस बिमारी के लिए कोई भी जांच देश में मौजूद नहीं है। लेकिन कुछ समाचार चैनल रोगी से मोबाइल द्वारा एस एम एस मंगवा कर इसकी जांच का दावा कर रहे हैं हलाकि सरकार ने इस जांच को अभी वैध नहीं ठराया है।
सरकार अपनी और से सभी संभव प्रयास कर रही है इस संक्रमण को रोकने के लिए। केंद्र सरकार ने लोगो को भरोसा दिलाया है की जल्द ही इस बीमारी से उन्हें निजात दिलाई जाएगी। सरकार ने साथ ही साथ सभी वरिष्ठ व्यग्यानिको से इस बीमारी का टिका इजाद करने के लिए कहा है।
इससे पहले रामदेव नामक संक्रमण फैलने से पहले सरकार ने उस पर काबू पा लिया इसका सारा श्रेया सरकार को जाता है जिसने शीघ्र हरकत mein aakar police द्वारा लोगो को टिके लगवाए और रातों रात इस बीमारी को मैदान से उखाड़ फेंका। यह संक्रमण दुबारा न फैले इसके भी पुख्ता इंतजामात सरकार ने कर लिए हैं।
अब सरकार ऐसे ही kisi tikakaran krayakram ko शुरू करने वाली है। ताकि इस बीमारी को भी जड़ से उखाड़ के फेका जा सके। डॉक्टर दिग्विजय सिंह के नेत्रत्व में सरकारी डॉक्टरों की पूरी एक टीम इस विषय में कार्य कर रही है। डॉक्टर दिग्विजय सिंह ऐसे बिमारियों के विशेषग्य हैं।

सरकार ने दावा किया है की अगस्त के मुकाबले अब नवम्बर में इस बीमारी के मामलों में अब कमी आई है। आंकड़े बताते हैं की अब केवल वही लोग जो, घर से मुक्त है तथा अपना जीवन जी चुकें हैं , इस बीमारी की चपेट में हैं। सरकार की यदि माने तो इस बीमारी के विषाणु कुछ दिनों बाद अपने अप ही कम हो jate hain। व्यक्ति यदि कार्यरत रहे और व्यस्त राहे टॉप ये बीमारी कभी नहीं लगती।

सरकार ने लोगो को सतर्क किया है की वो बेदिया तथा केजरिवाला इलाकों से दूर रहे। हालाँकि सरकार ने ये भी कहा है की भुशाना जैसे विषाणु से घबराने की जरूरत नहीं है क्यूँ की ये उस बैक्टेरिया परिवार का स्थायी सदस्य नहीं है और अकेले होने पर की शक्ति शीन हो जाती है।

हालाँकि इस बीमारी के चलते सरकार को विरोधी पार्टियों का रोष झेलना पड़ा है लेकिन सरकार ने आश्वस्त किया है की जल्द ही इस संक्रमण पर वह काबू पा लेगी और संसद का सत्र ख़तम होते होते इसका टीकाकरण कार्यक्रम भी लागु कर दिया जायेगा। साथ ही केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को ये निर्देश दिए हैं की इस बीमारी के मामलों को हलके में न ले और टीकाकरण कार्यक्रम लागु होने तक स्पेशल डॉक्टरों की टीम इन्हें सम्हाले।

सरकार के भरकस प्रयास और बढाती ठण्ड के चलते इस बीमारी का असर कम तो हुआ है लेकिन जब तक सरकार कोई ठोस कदम nahi uthati , जनता को हजेरिया झेलना ही पड़ेगा।

हम अपने पाठकों से निवेदन करते हैं की वो ऐसे सभी सभाओं से दूर रहे और संक्रमित व्यक्ति से भी door रहे क्यूँ की ये बीमारी vichaaron के आदान प्रदान से भी फैलती है और गैर सरकारी समाचारों का सेवन न करें।

आपका स्वास्थ्य ही देश का भविष्य है।

जनहित में जारी....


(लेखक का प्रयास सिर्फ देश हित में कार्य करना है)

शनिवार, 19 मार्च 2011

होली

ख्वाबों के कुछ चिथड़े
इस होली पे जला दिए
अरमानों के कुछ निशाँ थे,
इस्सी राख में दबा दिए
हाथ उठाकर आसमान के
कुछ रंगों को छु लिया
कुछ रंग बेरंग हो गए
कुछ दामन पे लगा लिए
तुम जो रंग बिखराते हो
वो रंग सारे कच्चे हैं
मैंने सारे पक्के रंग
अपने ऊपर लगा लिए
रंगों के इस खेल में
सारे रिश्ते रंग गए
मेरे दो चार ख़ास थे
तकिये के नीचे दबा दिए.
ख्वाबों के कुछ चिथड़े
इस होली में जला दिए