बुझती आँखों को अब क्या ख्वाब दिखाना चाहिए?
रात के मुसाफिर को अब घर आ जाना चाहिए !!
खुश्क मौसम की सर्द रातें अब मुझको सताती हैं
जो रात को उठकर लिखते थे
वो ख़त अब जलाना चाहिए !!
पहर दर पहर मैं देता रहा तुम को आवाजें
उन आवाजों को अब तो
लौट के आ जाना चाहिए !!
मेरे ख्वाबों की चाँद लाशें सड़ रहीं हैं आज भी
इन की चिता को आग लगाने
तुम्हे अब आ जाना चाहिए !!
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