बिखर गया है वो ताश के पत्तों सा मेरे आगे
कल जो खुद को खुदा कहता था
वो जोड़ रहा है अपने मुकद्दर की तस्वीरें
जिसके हाथों में कभी मेरा मुकद्दर रहता था
वक़्त है , वक़्त है और सिर्फ वक़्त है
कहते है की पहले वक़्त भी उसी के हाथों में रहता था
एक टिप्पणी भेजें
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें