सुनो, सुनो सुनो! देशवासियों गौर से सुनो हमारे देश मैं एक बीमारी फ़ैल रही है! ये एक बहुत ही खतरनाक बीमारी है! जनता इसके संक्रमण से बच नहीं पा रही है। कई राज्य तो इसके चपेट में पूरी तरह से आ चुके हैं।
मैं बात कर रहा हूँ हजारिया नाम की बीमारी की। ये एक अन्ना नाम के विषाणु के संक्रमण से फ़ैल रही है। इस बीमारी का पता तभी चलता है जब व्यक्ति पूरी तरह से संक्रमित हो जाता है। संक्रमण की स्थिति में व्यक्ति सफ़ेद रंग की गाँधी टोपी पहन लेता है जिस पर अन्ना लिखा होता है। अतिसंक्रमण की स्थिति में वह जुलुस निकलता है, रैलियों में शामिल होता है और अन्ना के सुप्पोर्ट में फसबूक पर लोगो को वर्गालाता है। अपनी डिस्प्ले पिक में हर जगह अन्ना की पिक लगता है और नारे लिखता है।
धीरे धीरे संक्रमण पूरी तरह से व्यक्ति को जकड लेता है और वह इस बीमारी का मजा लेने लगता है सफ़ेद कुरता पायजामा पहनता है और इनकी सभी सभाओं में जाता है। ऐसी अवस्था में वह सरकार की नीतियों का विरोध करता है और अधिकांशतः कांग्रेस के खिलाफ बोलने लगता है । इस बीमारी के चलते व्यक्ति का दिमाग धीरे धीरे भ्रमित होने लगता है और वह प्रत्येक नेता को चोर तथा स्वयं को गाँधी समझने लगता है। इस बीमारी की एक और भी अवस्था है जिसमे व्यक्ति स्वयं को कभी कभी भगत सिंह भी समझ लेता है।
अभी तक इस बिमारी के लिए कोई भी जांच देश में मौजूद नहीं है। लेकिन कुछ समाचार चैनल रोगी से मोबाइल द्वारा एस एम एस मंगवा कर इसकी जांच का दावा कर रहे हैं हलाकि सरकार ने इस जांच को अभी वैध नहीं ठराया है।
सरकार अपनी और से सभी संभव प्रयास कर रही है इस संक्रमण को रोकने के लिए। केंद्र सरकार ने लोगो को भरोसा दिलाया है की जल्द ही इस बीमारी से उन्हें निजात दिलाई जाएगी। सरकार ने साथ ही साथ सभी वरिष्ठ व्यग्यानिको से इस बीमारी का टिका इजाद करने के लिए कहा है।
इससे पहले रामदेव नामक संक्रमण फैलने से पहले सरकार ने उस पर काबू पा लिया इसका सारा श्रेया सरकार को जाता है जिसने शीघ्र हरकत mein aakar police द्वारा लोगो को टिके लगवाए और रातों रात इस बीमारी को मैदान से उखाड़ फेंका। यह संक्रमण दुबारा न फैले इसके भी पुख्ता इंतजामात सरकार ने कर लिए हैं।
अब सरकार ऐसे ही kisi tikakaran krayakram ko शुरू करने वाली है। ताकि इस बीमारी को भी जड़ से उखाड़ के फेका जा सके। डॉक्टर दिग्विजय सिंह के नेत्रत्व में सरकारी डॉक्टरों की पूरी एक टीम इस विषय में कार्य कर रही है। डॉक्टर दिग्विजय सिंह ऐसे बिमारियों के विशेषग्य हैं।
सरकार ने दावा किया है की अगस्त के मुकाबले अब नवम्बर में इस बीमारी के मामलों में अब कमी आई है। आंकड़े बताते हैं की अब केवल वही लोग जो, घर से मुक्त है तथा अपना जीवन जी चुकें हैं , इस बीमारी की चपेट में हैं। सरकार की यदि माने तो इस बीमारी के विषाणु कुछ दिनों बाद अपने अप ही कम हो jate hain। व्यक्ति यदि कार्यरत रहे और व्यस्त राहे टॉप ये बीमारी कभी नहीं लगती।
सरकार ने लोगो को सतर्क किया है की वो बेदिया तथा केजरिवाला इलाकों से दूर रहे। हालाँकि सरकार ने ये भी कहा है की भुशाना जैसे विषाणु से घबराने की जरूरत नहीं है क्यूँ की ये उस बैक्टेरिया परिवार का स्थायी सदस्य नहीं है और अकेले होने पर की शक्ति शीन हो जाती है।
हालाँकि इस बीमारी के चलते सरकार को विरोधी पार्टियों का रोष झेलना पड़ा है लेकिन सरकार ने आश्वस्त किया है की जल्द ही इस संक्रमण पर वह काबू पा लेगी और संसद का सत्र ख़तम होते होते इसका टीकाकरण कार्यक्रम भी लागु कर दिया जायेगा। साथ ही केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को ये निर्देश दिए हैं की इस बीमारी के मामलों को हलके में न ले और टीकाकरण कार्यक्रम लागु होने तक स्पेशल डॉक्टरों की टीम इन्हें सम्हाले।
सरकार के भरकस प्रयास और बढाती ठण्ड के चलते इस बीमारी का असर कम तो हुआ है लेकिन जब तक सरकार कोई ठोस कदम nahi uthati , जनता को हजेरिया झेलना ही पड़ेगा।
हम अपने पाठकों से निवेदन करते हैं की वो ऐसे सभी सभाओं से दूर रहे और संक्रमित व्यक्ति से भी door रहे क्यूँ की ये बीमारी vichaaron के आदान प्रदान से भी फैलती है और गैर सरकारी समाचारों का सेवन न करें।
आपका स्वास्थ्य ही देश का भविष्य है।
जनहित में जारी....
(लेखक का प्रयास सिर्फ देश हित में कार्य करना है)
Popular Posts
-
मेरी ज़िंदगी में सुबह तो नही है पर राह में चमकते तारें बहुत हैं जो मिला दे उनसे वो राहे नही हैं पर पगडंडियों पे मशालें बहुत हैं मस्जिदों में ...
-
अब किसके पास वक़्त है यहाँ अब कौन जनाजे में रोता है आज आफिस में काम बहुत है और एक दिन तो सबने मरना होता है ये तो इस कॉलोनी में रोज़ का...
-
बेजान दीवारों पर खामोश परछाइयाँ मेरे तन्हाई की साथी बनी है परछाइयाँ तन्हाई में हमें यूँ वक़्त का तकाज़ा ना रहा दीवारों पर आकर वक़्त बता...
-
बहती हवाओं से सीखा है उड़ती घटाओं से सीखा है बरसते पानी से जाना है झूमती बहारों ने माना है की प्रेम सिर्फ़ कल्पना है ये सच्चाई से परे है अन्...
-
मेरे ख्वाहिशों के खतों पर पते गलत थे तुम जब तक मेरे साथ थे, मुझ से अलग थे मैंने कई बार खुदा बदलकर भी देखा तुमने जिनके सजदे किये वो सारे...
-
बुझती आँखों को अब क्या ख्वाब दिखाना चाहिए? रात के मुसाफिर को अब घर आ जाना चाहिए !! खुश्क मौसम की सर्द रातें अब मुझको सताती हैं जो रात को उठ...
-
जिस्म रूह पर ऐसे है पुरानी किताब पर जिल्द चढ़ी हो जैसे उम्र बढ़ रही है तो वो कोने जो अक्सर अलमारी से रगड़ खाते है छिल जाते हैं इस जिल...
-
वक्त ज़ख्म, वक्त ही दवा देता है जिन्दा है जो उन्हें जीने कि सजा देता है झुलस रहे हैं सदियों से कई जिस्म जिन्दगी कि आग में बुझते शोलों को वक्त...
-
मेरी यादों का नशा और भी गहराता गया जो याद भी नहीं था, वो सब याद आता गया ये यूँ हुआ, वो यूँ हुआ, की जो हुआ और नहीं हुआ वो सब भी याद आता ग...
-
शहर बदल सकते हैं राज्य बदल सकते हैं प्यार करने वाले साम्राज्य बदल सकते हैं जब तक रहा मैं, जिन्दगी मेला रही जिंदा लोग जिंदगी का भाग्य बदल सकत...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें