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मंगलवार, 21 अगस्त 2007

जिए जा रहा हूँ

तुम्हारी यादों का साथ दिए जा रहा हूँ
जिंदगी कुछ इस तरह जिए जा रहा हूँ

बोलते सन्नाटों में एक दम खामोश हूँ
आज साथ खामोशी का दिए जा रहा हूँ

तुम हो कहीँ बाकी इस दिल में मगर ये लगता है
अपने हिस्से कि बेवफाई निभाए जा रहा हूँ

यूं तो तेरे रास्ते से होकर हम कई बार गुजर गए
तुझ तक जो पहुंचे वो रस्ते बनाए जा रहा हूँ

तुम मुझे मिलोगी कभी ये उम्मीद अभी बाकी है
इस उम्मीद में जिंदगी के किले बनाए जा रहा हूँ

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