मेरी ज़िंदगी में सुबह तो नही है
पर राह में चमकते तारें बहुत हैं
जो मिला दे उनसे वो राहे नही हैं
पर पगडंडियों पे मशालें बहुत हैं
मस्जिदों में कहीं खुदा तो नही हैं
पर मौलवी की अजाने बहुत हैं
सिर्फ़ मेरे घर में शायद बरसा हैं सावन
इस बिना छात के घर में दीवारें बहुत हैं।
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1 टिप्पणी:
hiya
Just saying hello while I read through the posts
hopefully this is just what im looking for looks like i have a lot to read.
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