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बुधवार, 4 जनवरी 2012

चाँद में दरारें

बचपन देखा यौवन देखा
जीते जीते जीवन देखा

समुंदर की मौजें भी देखी
नदियों का सावन भी देखा

बैठे बैठे ख्वाब भी देखे
ख्वाबों में आँचल भी देखा

ख्वाबों में तस्वीरे देखी
और लिफाफा खाली देखा

हाथों की लकीरें देखी
किस्मत का पिटारा खाली देखा

चाँद में दरारें देखी
दरारों में से सूरज देखा

दुनिया के कुछ लोग भी देखे
उनलोगों का अंजाम भी देखा

वक़्त के रहते सम्हल गए थे
पर हाथों से वक़्त फिसलते देखा

लालटेन

जीवन लालटेन हैं
धीरे-धीरे जलता है
मिटटी के तेल पे ये पलता है
उजाला सीमित है इसका
पर अँधेरे से ये लड़ता है
कम या ज्यादा उजाला देना
इसमें ये विशेष है
हवाओं से बेख़ौफ़ ये
गए दिनों का अवशेष है
रातों की सियाही से लड़ने के लिए
आओ आज लालटेन जला लें