बचपन देखा यौवन देखा
जीते जीते जीवन देखा
समुंदर की मौजें भी देखी
नदियों का सावन भी देखा
बैठे बैठे ख्वाब भी देखे
ख्वाबों में आँचल भी देखा
ख्वाबों में तस्वीरे देखी
और लिफाफा खाली देखा
हाथों की लकीरें देखी
किस्मत का पिटारा खाली देखा
चाँद में दरारें देखी
दरारों में से सूरज देखा
दुनिया के कुछ लोग भी देखे
उनलोगों का अंजाम भी देखा
वक़्त के रहते सम्हल गए थे
पर हाथों से वक़्त फिसलते देखा
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2 टिप्पणियां:
no doubt ki kavita to achchi hai par laybaadh nahi lag rahi, ya ho sakta hai...mai itna samajhdaar nahi ki use samajh paau...
wah wah
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