मेरे पुराने ख़त लौटने के लिए मत आना
सिलवटे चादर से हटाने के लिए मत आना
अबकी आना तो ले जाना अपनी खुशबू मेरे बदन से
और मेरे हाथो से तुमसे मिलने की लकीरें भी ले जाना
ले जाना मेरे ख्वाब सारे
और मेरे आँखों से सुखा हुआ नमक भी ले जाना
मैंने सहेज के रखी है गर्म सांसों की आहटे
रसोई में चूल्हे की बुझी आग भी रखी है
अबकी आना तो अपने आँचल में समेट के
ये घर बार भी ले जाना ...
सिलवटे चादर से हटाने के लिए मत आना
अबकी आना तो ले जाना अपनी खुशबू मेरे बदन से
और मेरे हाथो से तुमसे मिलने की लकीरें भी ले जाना
ले जाना मेरे ख्वाब सारे
और मेरे आँखों से सुखा हुआ नमक भी ले जाना
मैंने सहेज के रखी है गर्म सांसों की आहटे
रसोई में चूल्हे की बुझी आग भी रखी है
अबकी आना तो अपने आँचल में समेट के
ये घर बार भी ले जाना ...
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