कटी फटी ज़िन्दगी के कई हिस्से मिल गए है
एक सर्द रात में इन्हे मखमली नज़्म में सिल दूंगा
उल्झे रिश्ते के सीधे धागो से यादों के बटन ताकूंगा
कुछ अपने आंसुओं के छल्लों कि माला पिरोऊँ गा
अपने दर्द से ढाक दूंगा मैं फटे हिस्से
तुम्हारी आँखों के बादामी रंग मैं इसमें भरूंगा
रात गर काली गयी तो बादाखाने के
कुछ रंग भी आयेंगे नज़र
जो गर रही चांदनी तो फिर
फिर सब इसे रिश्तों का
गलिचा समझ बैठंगे
एक सर्द रात में इन्हे मखमली नज़्म में सिल दूंगा
उल्झे रिश्ते के सीधे धागो से यादों के बटन ताकूंगा
कुछ अपने आंसुओं के छल्लों कि माला पिरोऊँ गा
अपने दर्द से ढाक दूंगा मैं फटे हिस्से
तुम्हारी आँखों के बादामी रंग मैं इसमें भरूंगा
रात गर काली गयी तो बादाखाने के
कुछ रंग भी आयेंगे नज़र
जो गर रही चांदनी तो फिर
फिर सब इसे रिश्तों का
गलिचा समझ बैठंगे