Roz-Roz in ankhon se aur kab tak bahogi tum
Diye ghar nahi jalate aur kab tak kahogi tum
Kab tak kahogi ki Andhiyan kisi chat ko udati nahi
Kab tak kahogi ki Bijliyaan kabhi gadgadati nahi
Roshan Chirag ne ghar ko jala kar roshani le li.
Ud ke chappar bhi chala gaya un Andhiyon ke saath
Aur bijali chamakne se kapte hain aaj bhi mere haath
Ab aur kitani der tak Ankhen band kar ke rahogi tum
Aur kitani der tak is Kafan mein rahogi tum.
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