तुम केवल एक भीड़ हो
एक चिल्लाने वाली भीड़ का हिस्सा हो
तुम केवल चिल्ला सकते हो
दात भीच सकते हो
तुम एक निराशक भीड़ हो
तुहारा अपना कुछ नहीं
जो है सब भीड़ है
चिल्लाते हो उनके खिलाफ
जो तुम्हारी भीड़ ने चुने थे कभी
तुम्हारा वज़ूद भीड़ है
और आधार भी भीड़ है
अकेले तो तुम इतने सालों से
कहीं किसी बियाबान में
उन्ही की भीड़ का हिस्सा थे
जो कहानी तुम अब बता रहे हो समाज को
उसी कहानी का तुम भी एक किस्सा थे
वज़ीर से शह पाकर प्यादों ने भी
सीख लिया है अब हर चाल चलना
ये भीड़ का रूख है अभी
और आगे फिर तुम्ही को है सम्हलना
खुद अपनी ही सीमाये बना ली है तुमने
अब अवसरवादी भीड़ भी बना ली है तुमने
तुम एक पढ़े लिखे इंसान हो
जवान हो या किसान हो
थोड़ा सम्हलो और अपने अंतर्मन में झाको
इस भीड़ को और भीड़ मत बनाओ तुम
बड़ी मुश्क़िल से साठ सालों में इस भीड़ में
इंसानी समाज की खूबियाँ देखी है
पतन भी देखा और तरक्की भी देखी है
तुम्हारा म्हातवाकांशी होना बुरा नहीं
बुरा है उस पर भीड़ की शक्ति का तंदूर बनाना
और बुरा है उस तंदूर पर सत्ता की रोटी सेकना!!!