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बुधवार, 12 फ़रवरी 2014

कोई बहाना नहीं है

तुमसे बात करने का अब कोई बहाना नहीं है
और ब्लॅंक कॉल करने का अब ज़माना नहीं है

दिन के जुगनू रातों को आवारा से फिरते लेकिन 
ना दिन को फुरसत है और रातों का भी अब ठिकाना नहीं है 

एक अर्सा हुआ यारों की मेहफिलों का चाँद हुए 
सब्जी मॅंडी से आगे अब अपना आना जाना नहीं है 

तेरे खत और तस्वीर तेरी फाड़ दी थी उसी दिन 
सोना है सुकून से, अब बीवी से कुछ छुपाना नहीं है 

मेहफ़ूस रखना अपने दिल के किसी कोने में तुम मुझको 
सच्चे आशिक़ है हम, तुम्हारे बच्चों के मामा नहीं है 





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