मेरे शब्द उदास है
मन के किसी कोने में
रूखे हुए कुम्हले हुए
अपने दिन काट रहे है
मन के आँगन में
अब ये खेलते नहीं है
दिन ब दिन सिकुड़ जाते है
पर किसी की आहट पे
अब ये फैलते नहीं है
काली स्याह रात सा
मुक़द्दर रहा है इनका
चाँद सा मेहबूब रहा
तो उछले नहीं तो
ज़िन्दगी तिनका तिनका
अतीत की मशालों में
जलकर इन्होने
कई महफिले
रोशन की है अब
कुरेदता हूँ तो बस
राख है महफिले
कहीं नहीं है
वो जो मुह पे
रहते है दो चार
मेरे खास है
वैसे बहुत दिनों से
मेरे शब्द उदास है
मन के किसी कोने में
रूखे हुए कुम्हले हुए
अपने दिन काट रहे है
मन के आँगन में
अब ये खेलते नहीं है
दिन ब दिन सिकुड़ जाते है
पर किसी की आहट पे
अब ये फैलते नहीं है
काली स्याह रात सा
मुक़द्दर रहा है इनका
चाँद सा मेहबूब रहा
तो उछले नहीं तो
ज़िन्दगी तिनका तिनका
अतीत की मशालों में
जलकर इन्होने
कई महफिले
रोशन की है अब
कुरेदता हूँ तो बस
राख है महफिले
कहीं नहीं है
वो जो मुह पे
रहते है दो चार
मेरे खास है
वैसे बहुत दिनों से
मेरे शब्द उदास है