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बुधवार, 20 अगस्त 2014

अपने आप से

आज जो थोड़ा वक़्त मिला
तो गौर से आइना देखा
और जाना की वो शख्स
जो तमाम उम्र मेरे
साथ साथ चलता रहा था
ज़िन्दगी की खीच तान में
कहीं पीछे रह गया है
मैं अकेला बहुत
अकेला जी रहा हूँ

मैं जब बहुत छोटा था
तो तुम मेरे साथ हो लिए थे
नए नए खेल
सिखाते  थे
तुम मुझको
एक बार जब छत की
मुंडेर पे चढ़ गया था
तो तुमने मुझे
पकड़ लिया था अपनी
दोनों कलाइयो में
मुझे जप्त कर लिया था
मैं जब कभी अँधेरे से
डर  जाता था तो तुम
मुझे होंसला दिया
करते थे

स्कूल में भी तुम
मेरे साथ ही थे एकदम
रातों को जागकर जब
मैं पढता था तो तुम
कभी कभी आ जाते थे
मुझे देखने के लिए
तुमने ही मुझे उसूलों
की जगह जज़्बातों को
निभाना सिखाया है

वो भूरे आँखों वाली लड़की
जो मुझे बहुत अच्छी लगती थी ,
तुमने ही तो बताया था की
मुझे उससे प्यार हो गया है
याद है उससे घंटो बाते करने के बाद
मैं घंटो तुम्हे उसकी एक ही बात
बार बार बताया करता था
पर तुम न कभी बोर हुए
न कभी इर्रिटेट हुए

बारिशों में घर से निकाल  देते थे
तुम मुझे भिगोने के लिए
और इसी तरह कई बार
मैंने भी अकेले मैं
आंसुओं से भिगोया है तुमको

मैं ये मानकर ही चल रहा था
की तुम मेरे साथ ही हो
पर आज अकेले में
कोई नहीं है
न तुम्हारी ख़ामोशी है
ना ही तुम्हारे सन्नाटे
और आइना देखा तो जाना कि
अकेला बहुत अकेला जी  रहा हूँ मैं !!






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