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शनिवार, 5 जुलाई 2014

परिचय

कागज़ पर कलम से दिल के शोर लिखता हूँ
मुझसे जब उलझ जाते है ज़िन्दगी के सवाल
मैं खामोशी से बहुत घनघोर लिखता हूँ

सुलझा रहा हूँ उलझनों को,
ज़िन्दगी को कमिंग सून लिखता हूँ
बादल बारिश सावन सब देखे है मैंने
पर आँख नम हो जाये तो मानसून लिखता हूँ

आँधियों में फड़फड़ाता सहर का चिराग लिखता हूँ
रेत, पानी सब आग बुझाने के लिए है
मैं समंदर की गीली रेत पर आग लिखता हूँ

ज़िन्दगी के तजुर्बे से जवानी की शान लिखता हूँ
खत्म करता हूँ  जब लिखने के सिलसिले
आखिरी में अंशुमान लिखता हूँ




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