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बुधवार, 10 जून 2015

पेचीदा से रिश्तेदार

यार तुम बड़े ही पेचीदा से रिश्तेदार हो
मिलकर भी कभी मिलते नहीं
चहरे तुम्हारे कभी खिलते नहीं
माना की तुम बड़े हो,
होशियार हो
यार तुम बड़े ही.………

मेरे बारे में,  मुझे छोड़कर
सबसे मुखातिब होते हो
छोटी छोटी बातों में
बच्चों की तरह रोते हो
यार तुम बड़े हो
होशियार हो
 लेकिन तुम बड़े ही। …

दीवारों पर सीलन की तरह
मत आया करो
और इल्जाम  बारिशों पर
तो बिलकुल भी
मत  लगाया करो
क्यों किसी से डरते हो
तुम तो खुद
अपनी सरकार हो
यार तुम बड़े ही.………

खुदा का खौफ रक्खो
मेरे बच्चों को
अच्छे तोहफे
दिया करो
बहुत असर होता है,
बुजुर्गो की दुआएं
लिया करो
कहीं ऐसा न हो कि
तुम्हारे पुरखों के
हश्र को तुम्हारा
इंतिज़ार  हो

यार तुम बड़े ही पेचीदा से रिश्तेदार हो






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