जिन्दगी कि महफिलें यूं ही सजाये रखना
उम्र भर ग़मों को सीने में छुपाये रखना
ना जाने कब आ जाये मौत तुम्हे नींद में
शहर में चार लोगों से बनाए रखना
अँधेरे का दौर है, दिन भी यहाँ काले हैं
एक दीप तुम भी अपनी चौखट पे जलाये रखना
ना जाने कब आ जाये मौसम बरसात का
झूलें तुम नीम पे हर वक़्त सजाये रखना
बे वक़्त की हसीं होटों पे अच्छी नही लगती
कुछ आंसू भी अपने पलकों में हमेशा दबाये रखना
जिंदगी कि महफिलें यूं ही सजाये रखना
Popular Posts
-
मेरी ज़िंदगी में सुबह तो नही है पर राह में चमकते तारें बहुत हैं जो मिला दे उनसे वो राहे नही हैं पर पगडंडियों पे मशालें बहुत हैं मस्जिदों में ...
-
अब किसके पास वक़्त है यहाँ अब कौन जनाजे में रोता है आज आफिस में काम बहुत है और एक दिन तो सबने मरना होता है ये तो इस कॉलोनी में रोज़ का...
-
बेजान दीवारों पर खामोश परछाइयाँ मेरे तन्हाई की साथी बनी है परछाइयाँ तन्हाई में हमें यूँ वक़्त का तकाज़ा ना रहा दीवारों पर आकर वक़्त बता...
-
बहती हवाओं से सीखा है उड़ती घटाओं से सीखा है बरसते पानी से जाना है झूमती बहारों ने माना है की प्रेम सिर्फ़ कल्पना है ये सच्चाई से परे है अन्...
-
मेरे ख्वाहिशों के खतों पर पते गलत थे तुम जब तक मेरे साथ थे, मुझ से अलग थे मैंने कई बार खुदा बदलकर भी देखा तुमने जिनके सजदे किये वो सारे...
-
बुझती आँखों को अब क्या ख्वाब दिखाना चाहिए? रात के मुसाफिर को अब घर आ जाना चाहिए !! खुश्क मौसम की सर्द रातें अब मुझको सताती हैं जो रात को उठ...
-
जिस्म रूह पर ऐसे है पुरानी किताब पर जिल्द चढ़ी हो जैसे उम्र बढ़ रही है तो वो कोने जो अक्सर अलमारी से रगड़ खाते है छिल जाते हैं इस जिल...
-
वक्त ज़ख्म, वक्त ही दवा देता है जिन्दा है जो उन्हें जीने कि सजा देता है झुलस रहे हैं सदियों से कई जिस्म जिन्दगी कि आग में बुझते शोलों को वक्त...
-
मेरी यादों का नशा और भी गहराता गया जो याद भी नहीं था, वो सब याद आता गया ये यूँ हुआ, वो यूँ हुआ, की जो हुआ और नहीं हुआ वो सब भी याद आता ग...
-
शहर बदल सकते हैं राज्य बदल सकते हैं प्यार करने वाले साम्राज्य बदल सकते हैं जब तक रहा मैं, जिन्दगी मेला रही जिंदा लोग जिंदगी का भाग्य बदल सकत...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें