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बुधवार, 28 जुलाई 2010

याद

मेरी यादों का नशा और भी गहराता गया
जो याद भी नहीं था, वो सब याद आता गया

ये यूँ हुआ, वो यूँ हुआ, की जो हुआ
और नहीं हुआ वो सब भी याद आता गया

वो अचानक सी बारिश, वो सड़क, वो पेड़
और सब कुछ, जो भी था, याद आता गया

तुम्हारी खुशबू में बसे कुछ लम्हात
अब भी ताज़े हैं
उस दिन के बारिश की तरह
और पहले प्यार का ताजापन याद आता गया

1 टिप्पणी:

Raj Joshi ने कहा…

very nice sir
really nice one