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सोमवार, 25 जनवरी 2016

मेरे अंदर कौन है

मेरे अंदर कौन है बाहर कौन
मुझे जाना कहाँ है अब ये बतलाये कौन

शराबों के कई दौर यूँ ही ज़ाया हो गए
बात वो पते की अब सबको बतलाये कौन

वो गाँव सब के सब अब शहर हो गए
पर नींद वो गावों की अब शहरों में उगाये कौन

कल मयकदों से निकलकर  सब खुदा हो गए
दीवार ओ दर मस्जिदों की देखने अब रोज़ रोज़ जाये कौन

दोस्त तुमसे दोस्ती मेरी वैसी ही है गहरी
पर कौन जाए रोज़ मिलने किसी से
और रोज़ किसी को फ़ोन लगाये कौन।

मेरे अंदर कौन है बाहर कौन
मुझे जाना कहाँ है अब ये बतलाये कौन

अंशुमान 

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