Yun hi chalte chalte ek aur shaam ho gayi
Din bhar bune sapno ki maut sare aam ho gayi
Kai din se tere ghar ka pata pooch raha
Na jane kaun tha, jiski maut asaan ho gayi
Koi deewana galiyare se duhaai de raha
Dosti me bewafai, ab ek shaan ho gayi
Mile hi na the mujhse tum to bichadte kaisee
mil ke bichadne ki rasm to aam ho gayi
Ab to rah ko hi manzil kartaa chaloon
taki phir keh na sakoon ki raste mein hi shaam ho gayi.
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