मेरे घर के कमरे में बिखरे हैं ख्वाब कुछ
आओ मिल कर समेटे आज कुछ
दरियों के नीचे से सपनो की धूल निकाले
तकियों के गिलाफों से उष्णता के फूल निकाले
रोशनदानो से बाहर देखे आज कुछ
मेरे घर के कमरे में.......
यादों के पौधों को थोडी सी धुप दिखा दें
अलमारी को किताबों की तहजीब सिखा दें
टूटे कांच में देखे आईने की तरह आज कुछ
मेरे घर के कमरे में .......
कमरे के फर्श को नए विचारों से धोया जाए
इसका कोना कोना नई उम्मीदों से संजोया जाए
घर की चौखट पे रंगोली से लिखें आज कुछ
मेरे घर के कमरे में बिखरे हैं ख्वाब कुछ..
2 टिप्पणियां:
dude u r simple awesome...khatarnaak imagination hai dost
true really nice.. hey read this one too : Meri Aankhein http://tamannas-thoughts.blogspot.com/
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