Popular Posts

सोमवार, 24 अगस्त 2009

अनकही

दर्द वो है जो दीवारों सा दिखायी नही देता
बादलों सा बरसता तो है झूम के
पर बारिशों सा सुनायी नही देता


दिल के दरख्तों में
मैंने सपनो के बीज बोए थे
गम की फसलों के सिवाय यहाँ
अब कुछ दिखायी नही देता

सोचता हूँ की मांगूं बादलों से
थोड़ा पानी अपनी आँखों के लिए
पर सुना है की अब बदल कोई भी
यूँ ही उधार नही देता

रात के अंधेरे में किसी
रौशनी को उम्मीद न समझो
जलने के लिए कोई तिनका
अपना जिस्म बार बार नही देता

रास्तों पे चलते कारवां को
यूँ ही मंजीलें नही मिलती
नसीब मंजिलों का भी तो
देखो जिन्हें कारवां
हरबार नही मिलता …..