यूँ गुजर रही जिंदगी उसका ही नाम लेकर
मैं आज भी बैठा हूँ महफिल में एक टूटा जाम लेकर
तुम सजाओगी कभी महफिल मेरी मजार पर
कफ़न में लेटा हूँ आज भी मैं तेरी महफिल के दाम लेकर
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