इबादतगाह में देखो एक और नमाज़ी डूब गया
दुआ मेरी भी कबूल हुई, एक गैर समाजी डूब गया
कैसे मंदिर, कैसी मस्जिद, जगह सब ठेकेदारों की है
पाप धोते धोते वो, एक और रिवाजी डूब गया
उमड़ते ये सैलाब नहीं, ये ऊपर वाले की बोली है
बाकि तो सब समझ गए थे, वो एक न-समाझी डूब गया
दुआ मेरी भी कबूल हुई, एक गैर समाजी डूब गया
कैसे मंदिर, कैसी मस्जिद, जगह सब ठेकेदारों की है
पाप धोते धोते वो, एक और रिवाजी डूब गया
उमड़ते ये सैलाब नहीं, ये ऊपर वाले की बोली है
बाकि तो सब समझ गए थे, वो एक न-समाझी डूब गया