तुम्हारे ख्वाबों से मुझको
अक्सर नींद आ जाती थी
आज तुम्हारे ख्वाबों ने मुझको
नींद से जगा दिया
नींद से जगा दिया
मेरे आँखों की नमी
अब तक सुखी थी नहीं
कि तुम्हारे ख्याल ने
अब तक सुखी थी नहीं
कि तुम्हारे ख्याल ने
फिर मुझको रुला दिया
दिल क जज्बातों को कैसे
दिल क जज्बातों को कैसे
अल्फाजों में बयान करूँ
दर्द के सिरहाने रखकर
जज्बातों को सुला दिया
सूखे हुए दिल को अब
शराब में भिगोना है
बमुश्किल मिली है मुझको राहत
इसको अब नहीं खोना है
जो जो जब जब
लिखा है उसने
सो सो तब तब
होना है
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