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सोमवार, 24 जून 2013

सो सो तब तब होना है


 तुम्हारे ख्वाबों से मुझको 
 अक्सर नींद आ जाती थी 
आज तुम्हारे ख्वाबों ने मुझको 
 नींद से जगा दिया 
मेरे आँखों की नमी
अब तक सुखी थी नहीं
कि  तुम्हारे ख्याल ने 
फिर मुझको रुला दिया
दिल क जज्बातों को कैसे 
अल्फाजों में बयान करूँ 
दर्द के सिरहाने रखकर 
जज्बातों को सुला दिया 
सूखे हुए दिल को अब 
शराब में भिगोना है 
बमुश्किल मिली है मुझको राहत 
इसको अब नहीं खोना है
 जो जो जब जब 
लिखा है उसने 
सो सो तब तब 
होना है 

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