खुदा के रास्ते पे यूँ ही मत चला करो
किसी शाम हम से भी मिला करो
आते हैं सैलाब खुदा के भी घर में
तुम शामों को अक्सर, मयकदों में मिला करो
अक्सर याद आती है वो, गर इबादत के दर्मियान
कर के वजू फिर तुम, उसके ही सजदे किया करो
जो तुम सब को दिखलाते हो, वो तुम तो नहीं कोई और है
खुद तुम, खुद बनकर रहा करो, जब तुम मुझ से मिला करो
अक्सर याद आती है वो, गर इबादत के दर्मियान
कर के वजू फिर तुम, उसके ही सजदे किया करो
जो तुम सब को दिखलाते हो, वो तुम तो नहीं कोई और है
खुद तुम, खुद बनकर रहा करो, जब तुम मुझ से मिला करो
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