उन बीते सालों सा मुझसे हौंसला चाहता है
मेरा माजी अगले मोड़ पर
फिर एक बार मुझसे मिलना चाहता है
मेरा माजी अगले मोड़ पर
फिर एक बार मुझसे मिलना चाहता है
वो जो रख दिए थे किताबों में तुमने उस दिन
उन फ़ूलों सा आज फिर ये खिलना चाहता है
उन फ़ूलों सा आज फिर ये खिलना चाहता है
वक़्त की तहों में सिकते रहे कई ज़ख्म मेरे
कुछ ज़ख्मों को आज फिर ये सिलना चाहता है
कुछ ज़ख्मों को आज फिर ये सिलना चाहता है
वो जो ताउम्र पत्थर बन कर धड़का किए
आज वो पत्थर
दर पे मेरी पिघलना चाहता है
आज वो पत्थर
दर पे मेरी पिघलना चाहता है
मेरा माजी अगले मोड़ पर
फिर एक बार मुझसे मिलना चाहता है।
फिर एक बार मुझसे मिलना चाहता है।
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