Jeevan ki aandhiyon ko main sapna samjhta raha
Zindagi bhar dhoka hua, tumhe apna samjhta raha
Zindagi bhar teer mere ek tarkash mein rahe
Jangalon ke beech khudko main tanha samjhta raha
Raaston ke aage kai raaste nikalte gaye
Unko main manjilon ke nishan samjhta raha
Khamoshi ke baad bhi khamoshi chayi rahi
Us khamoshi ko main tumhari aawaz samjhta raha.
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