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शुक्रवार, 27 अप्रैल 2007

मेरे हबीब

जो सारे मेरे करीब थे
वो सारे मेरे रकीब थे

तुम नागाहान ही मुझ से मिल गए
जिंदगी के वाकये अजीब थे

मैं तमाम उम्र फरेब - ए -बका में रहा
जो फरेब देते रहे वो सारे मेरे हबीब थे

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